Ghaziabad News

02 फरवरी 2018,


यह कहानी है बेंगलुरु के एक आम शख्स की, जो अकाउंट से 51 रुपये बैंक द्वारा काट लिए जाने पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के खिलाफ चार साल तक कानूनी जंग लड़ता रहा और आखिरकार जीत कर ही दम लिया। दरअसल, SBI ने बिना कोई आवेदन प्राप्त किए ही चेकबुक सईद इशरतहुल्ला हुसनैनी के घर पर भेज दिया था और वहां से चेकबुक वापस आ जाने पर पेनल्टी के तौर पर 51 रुपये उसके अकाउंट से काट लिए। बैंक के इस रवैये ने सईद को आहत कर दिया और वह अदालत पहुंच गए

अब इस मामले में बेंगलुरु जिला शहरी उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने एसबीआई को ग्राहक के पैसे वापस करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही फोरम ने बैंक को सर्विस में लापरवाही के लिए 5000 रुपये और केस की लागत के लिए 4000 रुपये जुर्माना ग्राहक को सौंपने का आदेश भी दिया। 

बैंक की लापरवाही !

दरअसल, बेंगलुरु के KHB रोड निवासी सईद इशरतहुल्ला हुसनैनी SBIके सेविंग अकाउंट होल्डर हैं। 23 सितंबर 2014 को उन्होंने अपने अकाउंट से 20 हजार रुपये ट्विंकल पब्लिक स्कूल को ट्रांसफर किए। इसके लिए उन्होंने बैंक में चेक लगाया लेकिन कोर बैंकिंग सुविधा में जिस प्रक्रिया को चंद मिनट लगते हैं उसे पूरा होने में कई दिन लग गए। 

स्कूल अथॉरिटी ने हुसनैनी को कॉल करके बताया कि तीन दिन बाद भी उनके अकाउंट में पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ, तब हुसनैनी ने 29 सितंबर को बैंक जाकर जानकारी की लेकिन संबंधित स्टाफ उस दिन छुट्टी पर थे। इसके बाद उन्होंने मेल भी भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हुसनैनी ने दोबारा मेल भेजा जिस पर उन्हें जवाब मिला कि स्कूल के अकाउंट में 1 अक्टूबर को पैसा ट्रांसफर हो गया है लेकिन बैंक ने अपनी लापरवाही और देरी के लिए इसमें कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। 

कर्मचारियों का खराब व्यवहार !

इसके बाद मई 2015 को हुसनैनी के अकाउंट से 51 रुपये डेबिट हो गए जिस पर उन्होंने तुरंत बैंक जाकर इसकी पूछताछ की। कर्मचारी ने बताया कि यह चेक बुक वापस लाने के लिए कुरिअर का सेवा शुल्क है क्योंकि उस वक्त उनका घर बंद था। हुसनैनी ने इस सर्विस के लिए आवेदन ही नहीं किया था फिर भी वह बैंक से चेक बुक लेकर वापस आ गए। 

इसके बाद तीसरी वाकये में हुसनैनी 40 हजार रुपये निकालने के लिए बैंक गए जहां उन्होंने देखा कि चार काउंटर में से सिर्फ दो में ऑपरेटर्स मौजूद हैं जबकि अधिक संख्या में कस्टमर्स इंतजार कर रहे हैं। जब उन्होंने सवाल किया तो बैंक अथॉरिटी ने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जिससे आहत ग्राहक ने नवंबर 2015 को फोरम में मामला दर्ज कराया। इसके बाद बैंक ने अपने स्पष्टीकरण भी जारी किए लेकिन जांच में बैंक की गलती पाई जिसके बाद फोरम ने पिछले साल आखिर में अपना फैसला सुनाया।

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