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30 जनवरी 2018, 

 
पेट्रोल और डीजल की कीमतों का आसमान पर पहुंचने का दौर एक बार फिर शुरू हो गया है. मंगलवार को मुंबई में एक लीटर पेट्रोल 80.79 रुपये का मिल रहा है. वहीं, दिल्ली में भी एक लीटर के लिए लोगों को 72.92 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं.  हालांकि कीमतों में जारी इस रैली के बावजूद भी बजट में इस मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद कम ही है.  

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 3 साल के टॉप पर पहुंच गई हैं. इसका सीधा असर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ा है. बढ़ती कीमतों को देखते हुए तेल मंत्रालय ने बजट में एक्साइज ड्यूटी को कम करने की मांग की है. उसका तर्क है कि इससे आम आदमी को पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलेगी.

एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर चुकी है सरकार !

हालांकि बजट में एक्साइज ड्यूटी घटाने की घोषणा सरकार करेगी, ये थोड़ा मुश्क‍िल नजर आता है. बढ़ती कीमतों और लोगों के गुस्से को देखते हुए केंद्र सरकार पहले ही एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर चुकी है. अक्टूबर में उसने पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये की एक्साइज ड्यूटी घटा दी थी. लेक‍िन अब उसके पास ड्यूटी घटाने के लिए मौका ना के बराबर है.

राजकोषीय घाटा बढ़ने का खतरा !

अब ऐसा कदम उठाने का मतलब होगा कि सरकार अपना राजकोषीय घाटा बढ़ाने का खतरा पैदा करेगी. एक्साइज ड्यूटी घटाने से राजकोषीय घाटे को 3.2 फीसदी रखने का लक्ष्य सरकार के लिए हासिल करना मुश्‍किल हो जाएगा. इससे अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नई चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी.

तेल कंपनियों से भी राहत की उम्मीद कम !

दूसरी तरफ, तेल कंपनियों से भी इस मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद कम ही है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. इसकी वजह से कंपनियों का खर्च भी लगातार बढ़ता जा रहा है.

ऐसे में इन कंपनियों की तरफ से भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर राहत मिलना असंभव सा है. ऐसे में आम आदमी कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने का इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं कर सकता.

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